सात भाई और तिल का बीज - गढ़वाली लघुकथा उत्तराखंड
सात भाई और तिल का बीज - गढ़वाली लघुकथा उत्तराखंड
नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड की सात भाई और तिल का बीज - गढ़वाली लघुकथा के बारे में बताएंगे।
किसी गांव में सात भाई रहते थे। उनके माता पिता का निधन हो गया था और वे जैसे तैसे अपना गुजारा कर रहे थे। एक दिन सातों भाई डंगरों को लेकर पहाड़ पर गये हुए थे। छह बड़े भाई एक साथ थे और सबसे छोटा बांसुरी बजा रहा था। उन छह भाईयों को तिल का बीज मिला। सभी ने उसे बड़े भाई को सौंप दिया जिसने उसके छह हिस्से करके बांट दिया।
जब उन्होंने तिल का बीज खा दिया तब उन्हें ध्यान आया कि वे अपने सबसे छोटे भाई को भूल गये। उन्हें बहुत बुरा लगा। वे सभी भाई गांव गये और उन्होंने अपने सबसे छोटे भाई का विवाह कर दिया। क्योंकि वे अपने सबसे छोटे भाई को तिल के बीज में हिस्सा नहीं दे पाये थे।
कहानी छोटी है लेकिन बड़ी सीख देकर जाती है कि चीजों का समान बंटवारा करना चाहिए। हमारे पूर्वज ऐसी कहानियों से ही अपने बच्चों को सीख देते थे। तब स्कूल नहीं थे लेकिन वे हमसे अधिक व्यावहारिक थे। इस कहानी पर लोकोक्ति भी है कि उन भाईयों ने तिल का एक बीज भी बांटा था।
छोटी सी कहानी की सीख बड़ी जरूर पड़े उत्तराखंड की यह मशहूर लोक कहानी शेयर भी करें।
कहानी- अंजू पन्त द्वारा।
उम्मीद करते है, आपको पोस्ट पसन्द आयी होगी।
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