श्री माँ नैना देवी मंदिर नैनीताल, उत्तराखंड | नयना देवी मंदिर नैनीताल | Shri Maa Naina Devi Mandir Nainital
श्री माँ नैना देवी मंदिर नैनीताल, उत्तराखंड | नयना देवी मंदिर नैनीताल | Shri Maa Naina Devi Mandir Nainital
नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड में स्थित श्री माँ नैना देवी मंदिर जिसे नयना देवी मंदिर भी कहते है, उनके बारे में जानकारी देंगे।
माँ नैना ( नयना ) देवी मंदिर-
श्री माँ नैना ( नयना ) देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ मंडल के नैनीताल जिले के मुख्य नैनीताल शहर के बस स्टेशन से 2 किलोमीटर दूर मल्लीताल में नैनीझील के उत्तरी किनारे में स्थित हैं। जो कि बहुत भव्य, सुंदर और प्रसिद्ध मंदिर हैं। माँ नैना देवी मंदिर के सामने से ही नैनीझील के बहुत ही सुंदर, मनमोहक व अलौकिक दृश्य के दर्शन होते हैं।
माँ नैना देवी मंदिर के साथ - साथ यहां का मल्लीताल और तल्लीताल पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इन दोनों तालों को जोड़ने वाली सड़क माल रोड कहलाती है। आसपास घूमने के लिए चिड़ियाघर, राजभवन, केव गार्डन, भीमताल, नौकुचिया ताल, भवाली और घोड़ाखाल, सातताल, मुक्तेश्वर, कैंचीधाम, रामगढ़ और रानीखेत जैसे कई दर्शनीय जगह मौजूद है।
माँ नैना ( नयना ) देवी मंदिर के अंदर से मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करने के बाद मंदिर के अन्दर एक विशाल पीपल का पेड है, जो की नैना देवी मंदिर में आये भक्तो के लिए आराम करने के लिए बहुत ही सहायक है। पीपल के पेड़ के पार भगवान हनुमान जी की एक मूर्ति हैं।
माँ नैना देवी मंदिर के पवित्र स्थान के अन्दर तीन देवताओ के आकार की मुर्तिया है, बीच में दो नेत्र (आँखें) है, जो कि माँ नैना देवी का प्रतिनिधित्व करती है। और बायीं तरफ माता काली देवी और दाई ओर भगवान गणेश जी की मूर्ति है, माँ नैना देवी का मुख्य मंदिर के आगे से दो शेरों की मूर्तियां भी स्थित हैं।
माँ नैना देवी मंदिर में ऊपर किनारे से भगवान विष्णुजी के दशावतारों को प्रकट करते हुए दशावतारों की मूर्तियां एक मंदिर में स्थापित की गई है जो कि बहुत सुंदर हैं।
माँ नैना ( नयना ) देवी मंदिर नैनीताल का इतिहास-
माँ नैना ( नयना ) देवी मंदिर की प्रसिद्धता मुख्य शक्ति पीठों के रूप में भी होती है। कुशन काल में नैना देवी मंदिर का उल्लेख मिलता है, 15 वीं विज्ञापन में निर्मित, नैना देवी मंदिर की मूर्ति 1842 में एक भक्त मोती राम शाह द्वारा स्थापित की गई थी। सन 1880 में भूस्खलन से यह मंदिर नष्ट हो गया था। बाद में मंदिर का निर्माण दुबारा किया गया। यहां माँ सती देवी के शक्तिपीठ रूप की पूजा की जाती है। नैना देवी मंदिर में नैना देवी के नेत्रों की पूजा करी जाती है।
माँ नैना देवी मंदिर की ख़ास बात यह है कि इस मंदिर की देवी अपने पूर्णश्रेय में मंदिर में विराजमान नहीं है, बल्कि मंदिर में देवी के दो नयन अर्थात (आँखें) ही विराजमान है। देवी के भक्त दूर दूर से माँ नैना देवी का आशीर्वाद लेने के लिए आते रहते है। मंदिर में नंदाअष्टमी के दिन भव्य मेले का आयोजन होता है। यह उत्सव 8 दिन तक आयोजित रहता है।
माँ नैना ( नयना ) देवी मंदिर की पौराणिक कथाएं-
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिवशंकर देवी सती की मृत्यु के बाद उन्हें कैलाश पर्वत ले जा रहे थे तो उनकी एक आंख नैनीताल में गिर पड़ी थी, जबकि दूसरी आंख हिमांचल के बिलासपुर में गिरी थीं। यही कारण है कि देवी का ये मंदिर शक्तिपीठ में शामिल हैं। पुराणों में वर्णित है कि देवी के शरीर का अंग जहां भी गिरा वहां शक्तिपीठ की स्थासपना हुई। इस वजह से नैनीताल का नैना देवी मंदिर भी 64 शक्तिपीठ में शामिल है। इस मंदिर के अंदर नैना देवी मां की दो नेत्र बने हुए हैं। यहां नैना देवी को देवी पार्वती का रूप माना जाता है और इसी कारण उन्हें नंदा देवी भी कहा जाता है।
माँ नैना देवी मंदिर की नैनीझील की पौराणिक कथा-
नैना देवी मंदिर की तरह नैनी झील को भी बहुत पवित्र माना गया है। एक दंत कथा के अनुसार जब अत्री, पुलस्त्य और पुलह ऋषि को नैनीताल में कहीं पानी नहीं मिला तो उन्होंने एक गड्ढा खोदा और मानसरोवर झील से पानी लाकर इममें भर दिया। तब से यहां कभी भी पानी कम नहीं हुआ और ये झील बन गई। स्कंद पुराण में इसे त्रिऋषि सरोवर भी कहा जाता है। मान्यता है कि झील में डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है जितना मानसरोवर नदी में नहाने से मिलता है। और एक कथा के अनुसार जब माँ नैना देवी मंदिर में माँ नयना देवी के नेत्र गिरे तब उन नेत्रों के आंसू ने ही ताल का रूप धारण कर लिया और इसी वजह से इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा।
माँ नैना ( नयना ) देवी मंदिर नैनीताल की मान्यताएं-
मान्यता है कि यहां माँ नैना देवी के दर्शन मात्र से नेत्र से जुड़ी समस्याएं लोगों की दूर हो जाती है। देवी का ये मंदिर शक्तिपीठ में शामिल है और इसी कारण यहां देवी के चमत्कार देखने को मिलते हैं। नैना देवी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और अपनी मनोकामनाएं उनके समक्ष रखते हैं। इस मंदिर के अंदर नैना देवी मां की दो नेत्र बने हुए हैं। यही कारण है कि नेत्र से जुड़ी समस्याएं यहां ठीक होती है। वहीं यहां मांगी जाने वाली हर मुराद भी पूरी होती है। मंदिर के अंदर नैना देवी के संग भगवान गणेश जी और मां काली की भी मूर्तियां हैं।
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