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गोलू ( गोल्ज्यू ) देवता को नेपाल में पूजा जाता हैं, हुनैनाथ देवता के रूप में ।

गोलू ( गोल्ज्यू ) देवता को नेपाल में पूजा जाता हैं, हुनैनाथ देवता के रूप में ।



नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में नेपाल में पूजे जाने वाले गोल्ज्यू देवता जिन्हें नेपाल में हुनैनाथ देवता के रूप में जाना जाता हैं, उनके बारे में बताएंगे।

गोलू ( गोल्ज्यू ) देवता के पूर्वज़ उक्कु महल जो नेपाल में हैं, उसके अधिपति थे। गोलू देवता उक्कु महल में ही जन्मे थे। नेपाल में उन्हे हुनैनाथ के नाम के नाम से जाना जाता है। पश्चिमी नेपाल के महाकाली आँचल के ज़िला दार्चुला की गौरी नदी व काली नदी जो कि जौलजीवि भारत में एक दूसरे से मिलती है। उसके मध्य स्थित नेपाल राष्ट्र की उक्कु महल में गोरिल देवता के दादा हलराई झलराई के वंशजो का किला है। 
जिसके पाषानों में खुदी भाषा को आज तक कोई नहीं पढ़ पाया है। लोक जागरों के अनुसार उस महल में हुँनैनाथ के नाम से हुनै गाँव में इनका मन्दिर है जहां इनका हिन्डोला है। कहा जाता है कि झूला घाट के पास रतवाडा व नेपाल के ज़िला बैतड़ी के सेरा के पास आज भी उनका वह बक्सा काली नदी में दिखाई देता है जिसमें बन्द करके उन्हे बहाया गया था और वह वहीं अटक गया था। 

सेरा में महाकाली नदी के बीच में आज भी वह एक पत्थर के रूप में विराजमान है, कहते हैं कि काली नदी में कितनी भी बाढ़ क्यूँ न आ जाये वह पत्थर ढूबता नहीं है। और भारत में तालेश्वर नामक स्थान के पास में यह स्थान माना गया है। नेपाल में हुंनैनाथ के नाम से प्रसिद्ध गोल्ज्यू देवता धामी अवस्थी इत्यादी कई जातियो के कुल देवता हैं। 

वहीं उक्कु महल के रजवार इन्हीं के वंशजो में गिने जाते हैं, जिन्हें पाल भी कहा जाता है, वहीं नेपाल राष्ट्र निर्माण होने के बाद वहां के प्रथम प्रमाणिक राजा मानदेव हुए जिन्होंने अपने नाम का सिक्का प्रचलित किया था। नेपाल नाम से पूर्व इसे गोरखा कहा जाता था जिसे गुरु गोरखनाथ के नाथ सम्प्रदाय द्वारा चलाया गया था। कहा तो यह भी जाता है कि यहाँ के नाथ ने सम्प्रदाय द्वारा भारत के जोशीमठ में दीक्षा ली गयी थी।


उम्मीद करते है, आपको पोस्ट पसन्द आयी होगी।


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