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उत्तराखंड के 40 प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटक स्थल | Uttarakhand top 40 tourist places

उत्तराखंड के 40 प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटक स्थल | Uttarakhand top 40 tourist places


नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड के 40 प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटक स्थल के बारे में बताएंगे। उत्तराखंड की खूबसूरत वादियाँ, हिमालय की सफेद चोटियां, झीलें, झरनें और ताल, नदियाँ ये सभी दुनिया भर के पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। 



उत्तराखंड के 40 प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटक स्थल-

1. नैनीताल- 

प्राकृतिक सुंदरता एवं संसाधनों से भरपूर जनपद नैनीताल हिमालय पर्वत श्रंखला में एक चमकदार गहने की तरह है। कई सारी खूबसूरत झीलों से सुसज्जित यह जिला भारत में ‘झीलों के जिले’ के रूप में मशहूर है। चारों ओर से पहाडियों से घिरी हुई ‘नैनी झील’ इन झीलों में सबसे प्रमुख झील है। नैनीताल मुख्यतः दो तरह के भू भागों में बटॉ हुआ है जिसके एक ओर पहाड तथा दूसरी ओर तराई भावर आते हैं। जनपद के कुछ मुख्य पर्यटक स्थलों में नैनीताल, हल्द्वानी, कालाढूंगी, रामनगर, भवाली, भीमताल, नौकुचियाताल, सातताल, रामगढ तथा मुक्तेश्वर शामिल हैं। नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता अद्भुत, विस्मयकारी तथा सम्मोहित करने वाली है।

2. भीमताल-

यह सुंदर झील नैनीताल से 22 किलोमीटर की दूरी तथा समुद्र तल से 1370 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थान की दूरी भवाली से 11 किलोमीटर है। भीमताल की झील पर्यटकों के लिए बहुत मनोहारी दृश्य प्रस्तुत करती है। यह झील नैनीताल के झील से बडी है। पर्यटक यहॉ पर नौकायान का आन्नद ले सकते हैं। यहॉ का एक और आकर्षण झील के मध्य स्थित टापू पर बना मछलीघर है।

3. नौकुचिया ताल-

नौकुचियाताल झील की दूरी नैनीताल से 26 किलोमीटर तथा भीमताल से 4 किलोमीटर है। समुद्र तल से इसकी ऊंंचाई 1220 मीटर है। इस गहरी एवंं साफ झील मेें कुल नौ कोने हैंं। झील की लम्बाई 983 मीटर, चौडाई 693 मीटर तथा गहराई 40.3 मीटर है। यह झील एक आकर्षक घाटी में स्थित है, यहॉ का मुख्य आकर्षण मछली पकडना एवं विभिन्न प्रकार के पक्षियों को निहारना है। यहॉ पर आने वाले लोगों हेतु नौकायन के पर्याप्त अवसर उपब्ध रहते हैं। इस झील के एक भाग में ‘कमल ताल’ भी स्थित है, जहॉ पर कमल के फूल पर्याप्त मात्रा में देखने को मिल जाते हैं।

4. सातताल-

नैनीताल से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी  तथा समुद्र तल से 1370 मीटर की ऊचॉई पर स्थित सातताल एक अनोखा एवं अविस्मरणीय स्थान है। घने बांज के वृक्षों से घिरे इस स्थान पर सात झीलों का एक समूह है , जिसमेंं से कुछ झीलेंं अब विलुप्त हो गयी हैं। इस स्थान की तुलना इग्लैंड के वैस्ट्मोरलैण्ड से की जाती है। सातताल पहुंचने पर सर्वप्रथम झील नल दम्यंती ताल के रूप में मिलती है। आगे बढ़ने पर एक अमेरिकी मिशनरी स्टैनले जॉन्स का आश्रम है। आगे की झील पन्ना या गरुड झील है। जैसे हम नीचे जाते हैं, वहां तीन झीलों का एक समूह है, इन झीलों को राम, लक्ष्मण और सीता झील के रूप में जाना जाता हैं।

5. मसूरी-

देहरादून से 38 किलोमीटर दूर मसूरी अपनी हरी पहाड़ियों और विविध वनस्पतियों और जीवों के साथ, एक आकर्षक हिल स्टेशन है। यह उत्तर-पूर्व में हिमालयी बर्फ पर्वतमाला और दून वैली का एक अद्भुत नजारा पेश करता है, पर्यटकों के लिए लगभग शांत वातावरण बनाने के लिए, रुड़की, सहारनपुर और हरिद्वार के दक्षिण में। मसूरी की तलाश 1827 में एक साहसी सैन्य अधिकारी कप्तान यंग ने की। वह असाधारण सुंदर रिज द्वारा लुभाया गया था और इसके आधार की स्थापना की थी। मसूरी “गंगोत्री” और “यमुनोत्री” मंदिरों के लिए एक गेटवे भी है।

6. देहरादून-

देहरादून उत्तरी भारत के पश्चिमोत्तर उत्तराखंड राज्य में स्थित है। देहरादून 670 मीटर की ऊँचाई पर हिमालय की तराई में स्थित है। भौगोलिक रूप से देहरादून शिवालिक की पहाड़ियों और मध्य हिमालय की पहाड़ियों के बीच में स्थित है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून भारत का प्रसिद्ध पर्वतीय पर्यटक स्थल है। देहरादून पूर्व में गंगा से लेकर पश्चिम में यमुना नदी तक फैला हुआ है। इस तरह की विस्तृत घाटियों को ही "दून" कहते हैं। हिमालय की तराई और शिवालिक पर्वत श्रृंखला के बीच की घाटी को दून कहते हैं। इस घाटी में सौंग व आसन जैसी कई नदियाँ हैं। 

7. धनोल्टी-

देवदार, रोडोडेंड्रोन और ओंक के वनों से आच्छादित यह नगर चंबा मसूरी मार्ग पर स्थित है। धनोल्टी में लम्बे जंगली ढलान शांत माहौल सुन्दर मौसम, सर्दियों में बर्फ से ढकी पहड़िया. इसे छुट्टियाँ बिताने के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल बनती हैं। चंबा मसूरी मार्ग पर यह नगर चंबा से 29 कि0मी0 एवं मसूरी से 24 कि०मी० की दूरी पर स्थित है। रहने के लिए यहाँ पर्यटक विश्राम गृह, वन विभाग के विश्राम गृह, अतिथि गृह एवं होटल उपलब्ध हैं।

8. ऋषिकेश-

ऋषिकेश को “सागों की जगह” के नाम से भी जाना जाता है, चंद्रबाथा और गंगा के संगम पर हरिद्वार से 24 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित एक आध्यात्मिक शहर है। यह माना जाता है कि “ऋषिकेश” के नाम से भगवान रावीय ऋषि द्वारा कठिन तंगों के उत्तर के रूप में प्रकट हुए थे और अब से इस जगह का नाम व्युत्पन्न हुआ है। यह चार धाम तीर्थ यात्रा का प्रारंभिक बिंदु है और न केवल तीर्थयात्रियों के लिए बल्कि उन लोगों के लिए आदर्श स्थान है, जो औषधि, योग और हिंदू धर्म के अन्य पहलुओं में रुचि रखते हैं। साहसिक चाहने वालों के लिए, ऋषिकेश ने हिमालय की चोटियों के लिए अपने ट्रेकिंग अभियान शुरू करने और राफ्टिंग के लिए सुझाव दिया है। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय योग सप्ताह जो कि दुनिया भर में भागीदारी को आकर्षित करता है, यहां हर साल, गंगा के तट पर फरवरी में आयोजित किया जाता है।

9. औली-

उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमालय की पहाड़ियों पर स्थित औली स्की के लिए एक गंतव्य है। गढ़वाली में औली को औली बुग्याल अर्थात् “घास के मैदान” के नाम से जाना जाता है. यह समुद्रतल से 2500 मी० (8200 फीट) से 3050 मी० (10,010 फीट) तक की ऊंचाई पर स्थित है। औली जोशीमठ से सड़क या रोपवे के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। यहाँ से नंदादेवी, कमेट तथा दूनागिरी जैसे विशाल पर्वत चोटियों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। आमतौर पर जनवरी से मार्च तक औली की ढलानों पर लगभग 3 मी० गहरी बर्फ की चादर बिछी होती है।

10. बद्रीनाथ-

भारत के प्रसिद्ध चार धामों में बदरीनाथ सुप्रसिद्ध है। बद्रीनाथ धाम ऎसा धार्मिक स्थल है, जहां नर और नारायण दोनों मिलते है. धर्म शास्त्रों की मान्यता के अनुसार इसे विशालपुरी भी कहा जाता है। और बद्रीनाथ धाम में श्री विष्णु की पूजा होती है। इसीलिए इसे विष्णुधाम भी कहा जाता है, यह धाम हिमालय के सबसे पुराने तीर्थों में से एक है, मंदिर के मुख्य द्वार को सुन्दर चित्रकारी से सजाया गया है। मुख्य द्वार का नाम सिंहद्वार है, बद्रीनाथ मंदिर में चार भुजाओं वली काली पत्थर की बहुत छोटी मूर्तियां है, यहां भगवान श्री विष्णु पद्मासन की मुद्रा में विराजमान है।

11. केदारनाथ-

केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।

12. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क-

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है और भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है जो 1936 में हैली नेशनल पार्क के नाम से स्थापित हुआ। भारत की स्वतंत्रता के बाद पार्क का नाम रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान रखा गया था लेकिन बाद में 1956 में, इसका नाम जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया – प्रसिद्ध शिकारी ने संरक्षणवादी और लेखक को बदल दिया, जिन्होंने राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना में एक प्रमुख भूमिका निभाई।

13. हरिद्वार-

हरिद्वार, उत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले का एक पवित्र नगर तथा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ है। यह नगर निगम बोर्ड से नियंत्रित है। यह बहुत प्राचीन नगरी है। हरिद्वार हिन्दुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है। 3139 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अपने स्रोत गोमुख (गंगोत्री हिमनद) से 253 किमी की यात्रा करके गंगा नदी हरिद्वार में मैदानी क्षेत्र में प्रथम प्रवेश करती है, इसलिए हरिद्वार को 'गंगाद्वार' के नाम से भी जाना जाता है; जिसका अर्थ है वह स्थान जहाँ पर गंगाजी मैदानों में प्रवेश करती हैं। हरिद्वार का अर्थ "हरि (ईश्वर) का द्वार" होता है।

14. यमुनोत्री-

यमुनोत्री, यमुना नदी का स्रोत और हिंदू धर्म में देवी यमुना की सीट है. यह जिला उत्तरकाशी में गढ़वाल हिमालय में 3,293 मीटर (10,804 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। उत्तराखंड के चार धाम तीर्थ यात्रा में यह चार स्थलों में से एक है। यमुना नदी के स्रोत यमुनोत्री का पवित्र गढ़, गढ़वाल हिमालय में पश्चिमीतम मंदिर है, जो बंदर पुंछ पर्वत की एक झुंड के ऊपर स्थित है। यमुनोत्री में मुख्य आकर्षण देवी यमुना के लिए समर्पित मंदिर और जानकीचट्टी (7 किमी दूर) में पवित्र तापीय झरना हैं।

15. गंगोत्री-

गंगोत्री ,गंगा नदी की उद्गम स्थान है एवं उत्तराखंड के चार धाम तीर्थयात्रा में चार स्थलों में से एक है | नदी के स्रोत को भागीरथी कहा जाता है , और देवप्रयाग के बाद से यह अलकनंदा में मिलती है, जहाँ से गंगा नाम कहलाती है | पवित्र नदी का उद्गम गोमुख पर है जो की गंगोत्री ग्लेशियर में स्थापित है, और गंगोत्री से 19 किलोमीटर का ट्रेक है।

16. अल्मोड़ा-

अल्मोड़ा जिला, उत्तराखंड राज्य, भारत के कुमाऊं प्रभाग में एक जिला है। मुख्यालय अल्मोड़ा में है यह समुद्र तल से 1,638 मीटर ऊपर है अल्मोड़ा का शहर पूर्व में पिथौरागढ़ जिले, पश्चिम में गढ़वाल क्षेत्र, उत्तर में बागेश्वर जिला और दक्षिण में नैनीताल जिला है।

अल्मोड़ा का पहाड़ी स्थल पहाड़ की एक घोड़े की नाल के आकार की रिज पर स्थित है, जिसमें पूर्वी भाग को तालिफाट कहा जाता है और पश्चिमी को सेलिफाट के रूप में जाना जाता है। अल्मोड़ा का परिदृश्य हर साल पर्यटकों को हिमालय, सांस्कृतिक विरासत, हस्तशिल्प और भोजन के अपने विचारों के लिए आकर्षित करता है, और कुमाऊं क्षेत्र के लिए एक व्यवसाय केंद्र है। चांद वंश के राजाओं द्वारा विकसित, बाद में इसे बनाए रखा गया और आगे ब्रिटिश शासन ने विकसित किया।

17. फूलों की घाटी-

फूलों की घाटी भारत के राज्य उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के चमोली जिले में स्थित है, फूलों की घाटी का जन्म पिंडर से हुआ है जिसे पिंडर घाटी या (pinder valley) भी कहते हैं। हिमालय की गोद में है फूलों की घाटी नेशनल पार्क एक भारतीय राष्ट्रीय उद्यान है, जो उत्तराखंड राज्य में उत्तरी चमोली में स्थित है, और यह स्थानिक अल्पाइन फूलों और वनस्पतियों की विविधता के लिए जाना जाता है। यह समृद्ध विविधता वाला क्षेत्र दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवरों का घर भी है, जिसमें एशियाई काले भालू, हिम तेंदुआ, कस्तूरी मृग, भूरे भालू, लाल लोमड़ी और नीली भेड़ शामिल हैं। 

18. मुक्तेश्वर-

मुक्तेश्वर बेहद खूबसूरत स्थान नैनीताल से लगभग 51 किलोमीटर की दूरी एवं समुद्र की सतह से 2286 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। फलों के बगीचों एवं देवद्वार के घने जंगलों से घिरा हुए इस स्थान को सन् 1893 में अंग्रेजों ने अनुसंधान एवं शिक्षा संस्थान के रूप में विकसित किया था, जोकि अब भारतीय पशु अनुसंधान केंद्र (आई.वी.आर.आई.) के रूप में जाना जाता है। यहॉ से हिमालय की लम्बी पर्वत श्रंखलायेंं दिखाई देती है।  यहीं पहाड की चोटी पर भगवान शिव का एक मंदिर भी है, जहॉ से चारों ओर का नजारा देखते ही बनता है ।मुक्तेश्वर के घने देवद्वार के जंगल किसी भी आने वाले व्यक्ति को स्वतः ही अपनी ओर आकर्षित करने हैं।

19. रानीखेत-

रानीखेत उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले के अंतर्गत एक पहाड़ी पर्यटन स्थल है। देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक एक लघु हिल स्टेशन है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से 85 किमी. की दूरी पर स्थित यह अच्छी पक्की सड़क से जुड़ा है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग रानीखेत समुद्र तल से 1824 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। छावनी का यह शहर अपने पुराने मंदिरों के लिए मशहूर है। उत्तराखंड की कुमाऊं की पहाड़ियों के आंचल में बसा रानीखेत फ़िल्म निर्माताओं को भी बहुत पसन्द आता है।

20. लैंसडाउन-

लैंसडाउन (Lansdowne) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी गढ़वाल ज़िले में स्थित एक छावनी नगर है।

21. टिहरी गढ़वाल-

जिला टिहरी गढ़वाल हिमालय की हिम से ढकी थलय सागर, जनोली और गनोत्री पर्वत श्रृंखला से तलहटी में ऋषिकेश तक फैला हुआ है। भागीरथी नदी जिले को दो भागों में विभाजित करती हैं, जबकि भिलंगना, अलकनंदा, गंगा और यमुना नदियां पूर्वी और पश्चिमी सीमायें बनाती हैं। टिहरी गढ़वाल उत्तर में जनपद उत्तरकाशी, दक्षिण में जनपद पौड़ी गढ़वाल, पूर्व में जनपद रुद्रप्रयाग और पश्चिम में जनपद देहरादून से घिरा हुआ है।

22. जोशीमठ-

जोशीमठ या ज्योतिर्मठ भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली ज़िले में स्थित एक नगर है जहाँ हिन्दुओं की प्रसिद्ध ज्योतिष पीठ स्थित है। यहाँ 8वीं सदी में धर्मसुधारक आदि शंकराचार्य को ज्ञान प्राप्त हुआ और बद्रीनाथ मंदिर तथा देश के विभिन्न कोनों में तीन और मठों की स्थापना से पहले यहीं उन्होंने प्रथम मठ की स्थापना की। जाड़े के समय इस शहर में बद्रीनाथ की गद्दी विराजित होती है जहां नरसिंह के सुंदर एवं पुराने मंदिर में इसकी पूजा की जाती है। बद्रीनाथ, औली तथा नीति घाटी के सान्निध्य के कारण जोशीमठ एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है।

23. राजा जी नेशनल पार्क-

राजाजी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड के देहरादून में स्थित है। यह उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है। 1983 से पहले इस क्षेत्र में फैले जंगलों में तीन अभयारण्य थे- राजाजी,मोतीचूर और चिल्ला। 1983 में इन तीनों को मिला दिया गया। महान स्वतंत्रता सेनानी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के नाम पर इसका नाम राजाजी राष्ट्रीय उद्यान रखा गया। 830 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला राजाजी राष्ट्रीय उद्यान अपने यहाँ पाए जाने वाले हाथियों की संख्या के लिए जाना जाता है। इसके अलावा राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में हिरन, चीते, सांभर और मोर भी पाए जाते हैं। राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों की 315 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

24. बागेश्वर-

बागेश्वर शहर पवित्र सरयू व गोमती नदियों के संगम पर स्थित है जिसका सम्बन्ध भगवान शिव से है जो सभी पापों के उद्धारकर्ता हैं| पुराणों के अनुसार यह निस्संदेह एक स्थान है जहाँ मनुष्य जन्म और मृत्यु की अनन्त बंधन से मुक्त हो सकता है। यह पूर्व और पश्चिम में भीलेश्वर और निलेश्वर पहाड़ों से और उत्तर में सूरज कुंड और दक्षिण में अग्नि कुंड से घिरा हुआ है, भगवान शंकर की यह भूमि का महान धार्मिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व है।

25. कौसानी-

समुद्र तल से 6075 फीट की ऊंचाई पर बसा कौसानी एक खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्थल है। विशाल हिमालय के अलावा यहां से नंदाकोट,त्रिशूल और नंदा देवी पर्वत का भव्य नजारा देखने को मिलता है। यह पर्वतीय शहर चीड़ के घने पेड़ों के बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यहां से सोमेश्वर, गरुड़ और बैजनाथ कत्यूरी की सुंदर घाटियों का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।

काफी समय पहले कासौनी अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था और वलना के नाम से जाना जाता था। उस समय अल्मोड़ा जिला कत्यूरी के राजा बैचलदेव के क्षेत्रधिकार में आता था। बाद में राजा ने इसका काफी बड़ा हिस्सा एक गुजराती ब्राह्मण श्री चंद तिवारी को दे दिया। महात्मा गांधी ने यहां की भव्यता से प्रभावित हो कर इस जगह को ‘भारत का स्वीट्जरलैंड’ कहा था। वर्तमान में कौसानी एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है और हर साल यहां पूरे विश्व से सैलानी आते हैं।

26. मुन्स्यारी-

मुनस्‍यारी (Munsiari) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़ ज़िले में स्थित एक पर्वतीय नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। मुनस्‍यारी एक खूबसूरत पर्वतीय स्थल है। यह नेपाल और तिब्बत की सीमाओं के समीप है। मुनस्‍यारी चारो ओर से पर्वतो से घिरा हुआ है। मुनस्‍यारी के सामने विशाल हिमालय पर्वत श्रंखला का विश्‍व प्रसिद्ध पंचचूली पर्वत (हिमालय की पांच चोटियां) जिसे किवदंतियो के अनुसार पांडवों के स्‍वर्गारोहण का प्रतीक माना जाता है, बाई तरफ नन्‍दा देवी और त्रिशूल पर्वत, दाई तरफ डानाधार जो एक खूबसूरत पिकनिक स्‍पॉट भी है और पीछे की ओर खलिया टॉप है।

27. पिथौरागढ़-

पिथौरागढ़ जिला भारत के उत्तराखंड राज्य का सबसे पूर्वी हिमालयी जिला है। यह प्राकृतिक रूप से उच्च हिमालयी पहाड़ों, बर्फ से ढकी चोटियों, दर्रों, घाटियों, अल्पाइन घास के मैदानों, जंगलों, झरनों, बारहमासी नदियों, ग्लेशियरों और झरनों से घिरा हुआ है। क्षेत्र की वनस्पतियों और जीवों में समृद्ध पारिस्थितिक विविधता है।  चंद साम्राज्य के उत्कर्ष काल में पिथौरागढ़ में कई मंदिर और  किलों का निर्माण हुआ था ।पिथौरागढ़ जिले की संपूर्ण उत्तरी और पूर्वी सीमाएं अंतरराष्ट्रीय हैं, यह भारत के उत्तर सीमा पर एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील जिला है।

28. पौड़ी-

पौड़ी (Pauri) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी गढ़वाल ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। पौड़ी गढ़वाल जिला वृत्ताकार रूप में है, जिसमें हरिद्वार, देहरादून, टिहरी गढ़वाल, रूद्वप्रयाग, चमोली, अल्‍मोड़ा और नैनीताल सम्मिलित है। यहां स्थित हिमालय, नदियां, जंगल और ऊंचे-ऊंचे शिखर यहां की खूबसूरती को अधिक बढ़ाते हैं। पौड़ी समुद्र तल से लगभग 1814 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फ से ढके हिमालय शिखर पौड़ी की खूबसूरती को कहीं अधिक बढ़ाते हैं।

29. चोपता-

यह गोपेश्वर – उखीमठ रोड एवं गोपेश्वर से लगभग 40 किलोमीटर , 2900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, चोपता पूरे गढ़वाल क्षेत्र में सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। यह हिमालय पर्वतमाला और आस-पास के क्षेत्रों का एक लुभावनी दृश्य प्रदान करता है।

30. रामगढ़-

रामगढ़ (Ramgarh) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल ज़िले में स्थित एक बस्ती और हिल स्टेशन है। बहुत से पर्यटकों के लिए यह जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का द्वार है।

31. गुप्तकाशी-

गुप्तकाशी का काशी की तरह काफी महत्व है प्राचीन विश्वनाथ मंदिर, अर्धनारेश्वर मंदिर और मणिकर्णिक कुंड, जहां गंगा और यमुना के दो नदियों को मिलना माना जाता है, गुप्तकाशी में मुख्य आकर्षण हैं।

यह माना जाता है कि महाभारत की लड़ाई के बाद, पांडव भगवान शिव से मिलना चाहते थे और अपने आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते थे। लेकिन भगवान शिव गुप्काशी से  केदारनाथ जाकर छिप गए , क्योंकि वे पांडवों से नहीं मिलना चाहते थे, इसका कारण यह कि वे सही कारणों के लिए लड़े थे, किन्तु वे  अपने वंश को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार थे।

32. रुद्रप्रयाग-

भगवान शिव (रुद्र) के नाम पर इसका नाम रखा गया है, रुद्रप्रयाग, अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के पवित्र संगम पर स्थित है। यह श्रीनगर (गढ़वाल) से 34 किमी की दूरी पर है। मंदाकिनी और अलकनंदा नदियों का संगम खुद का एक अनूठा सौंदर्य है और ऐसा लगता है कि दो बहनों ने एक दूसरे को गले लगाया हो । यह माना जाता है कि संगीत के रहस्यों को हासिल करने के लिए, नारद मुनि ने भगवान शिव की पूजा की, जो नारद को आशीर्वाद देने के लिए अपने रुद्र अवतार (अवतार) में उपस्थित थे। शिव और जगदम्बा मंदिर महान धार्मिक महत्व के मंदिर हैं। रुद्रप्रयाग जिला चामोली और टिहरी का एक हिस्सा था। 1997 में, केदारनाथ घाटी और जिला टिहरी और पौड़ी के कुछ हिस्सों से एक नया जिला बनाकर रुद्रप्रयाग के रूप में स्थापित किया गया।

33. बिनसर-

बिनसर उत्तरांचल में अल्मोड़ा से लगभग 34 किलोमीटर दूर है। यह समुद्र तल से लगभग 2412 मीटर की उंचाई पर बसा है। लगभग 11वीं से 18वीं शताब्दी तक ये चन्द राजाओं की राजधानी रहा था। अब इसे वन्य जीव अभयारण्य बना दिया गया है। बिनसर झांडी ढार नाम की पहाडी पर है। यहां की पहाड़ियां झांदी धार के रूप में जानी जाती हैं। बिनसर गढ़वाली बोली का एक शब्द है -जिसका अर्थ नव प्रभात है। यहां से अल्मोड़ा शहर का उत्कृष्ट दृश्य, कुमाऊं की पहाडियां और ग्रेटर हिमालय भी दिखाई देते हैं।

34. चकराता-

चकराता अपने शांत माहौल और प्रदूषण रहित माहौल के लिए जाना जाता चकराता, देहरादून से लगभग 7000 फुट (2118 मीटर) की ऊंचाई पर 98 किलोमीटर दूर स्थित है। यह एक कैंटनमेंट टाउनशिप बना रहा है और चकराता उप-डिवीजन के उत्तरी भाग ट्रेकर्स और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आकर्षक परिदृश्य प्रदान करता है। लंबे समय तक चलने के लिए कॉनिफ़र, रोडोडेंड्रंस और ओक के वर्जिन जंगलों को सबसे उपयुक्त है। एक विशाल घने जंगल, जौनसारी  जनजाति के आकर्षक गांवों के साथ बिंदीदार, इस क्षेत्र में 10,000 फीट (3084 एमटीएस) खराम्बा  के उच्च शिखर है इसकी उत्तरी ढलानों पर मुंदली 9000 फीट (2776 मीटर) स्थित है जहां नवंबर से अप्रैल के महीनों में स्कीयर स्कीइंग का आनंद ले सकते हैं।

35. उत्तरकाशी-

उत्तरकाशी ऋषिकेश से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शहर है, जो उत्तरकाशी जिले का मुख्यालय है। यह शहर भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ है। उत्तरकाशी धार्मिक दृष्टि से एक महत्‍वपूर्ण शहर है। यहां भगवान विश्‍वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां एक तरफ जहां पहाड़ों के बीच बहती नदियां दिखती हैं वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर घने जंगल भी दिखते हैं। यहां आप पहाड़ों पर चढ़ाई का लुफ्त भी उठा सकते हैं।

36. धारचूला-

धारचूला (Dharchula) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़ ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। धारचूला की प्रमुख भाषाएँ हिन्दी, पहाड़ी, नेपाली, कुमाऊँनी, और रङ्ग ल्व (रंग भाषा) हैं। यह नेपाल की सीमा से सटा हुआ, काली नदी (शारदा नदी) के किनारे बसा हुआ हैं।

37. देवप्रयाग-

देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को पहली बार 'गंगा' के नाम से जाना जाता है। यहाँ श्री रघुनाथ जी का मंदिर है, जहाँ हिंदू तीर्थयात्री भारत के कोने कोने से आते हैं। देवप्रयाग अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर बसा है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मिलित धारा 'गंगा' कहलाती है। यह टेहरी से 18 मील दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। प्राचीन हिंदू मंदिर के कारण इस तीर्थस्थान का विशेष महत्व है। संगम पर होने के कारण तीर्थराज प्रयाग की भाँति ही इसका भी नामकरण हुआ है।

38. हेमकुंड साहिब-

हेमकुंट साहिब चमोली जिला, उत्तराखंड, भारत में स्थित सिखों का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यह हिमालय में 4632 मीटर (15,192.96 फुट) की ऊँचाई पर एक बर्फ़ीली झील के किनारे सात पहाड़ों के बीच स्थित है। इन सात पहाड़ों पर निशान साहिब झूलते हैं। इस तक ऋषिकेश-बद्रीनाथ साँस-रास्ता पर पड़ते गोबिन्दघाट से केवल पैदल चढ़ाई के द्वारा ही पहुँचा जा सकता है।

39. हर्शिल-

हर्शिल, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल के उत्तरकाशी जिले में उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्ग के मध्य स्थित एक ग्राम और कैण्ट क्षेत्र है। यह स्थान गंगोत्री को जाने वाले मार्ग पर भागीरथी नदी के किनारे स्थित है।हर्शिल समुद्र तल से 7,860 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान जो 1,553 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है।

40. चम्पावत-

चंपावत जिला पूर्व में अल्मोडा जिले का एक हिस्सा था। 1972 में  पिथोरागढ़  जिले के तहत यह हिस्सा आ गया। 15 सितंबर 1997 में  चंपावत को एक  स्वतंत्र जिला घोषित किया गया था।

उत्तराखण्ड में संस्कृति और धर्म की उत्पत्ति की जगह के रूप में उत्तराखंड में चंपावत को जाना जाता है। चम्पावत भूमि नागा और हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित किन्नर का घर जाना जाता है। इस क्षेत्र में खस राजाओं का शासन था। क्षेत्र के ऐतिहासिक स्तंभ, स्मारक, पांडुलिपियां, पुरातत्व संग्रह और लोककथाएं इसके ऐतिहासिक महत्व का प्रमाण हैं। पांडुलिपियां यह स्पष्ट कर देती हैं कि कत्युर  साम्राज्य ने अतीत में इस क्षेत्र पर शासन किया था।

चंपावत जिले उत्तराखंड राज्य के 13 जिलों में से एक है। चंपावत जिले का प्रशासकीय मुख्यालय चम्पावत में है। यह राज्य की राजधानी देहरादून की 266 किमी पश्चिम दिशा में स्थित है। चंपावत जिले की आबादी लगभग 25 9 648 है यह आबादी से राज्य में 12 वें सबसे बड़ा जिला है।

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