उत्तरांचल उत्तराखंड कैसे बना ?
उत्तरांचल उत्तराखंड कैसे बना ?
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में बताएंगे कि उत्तरांचल उत्तराखंड कैसे बना।
उत्तरांचल से उत्तराखंड-
24 अगस्त, 2006 को केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने उत्तरांचल राज्य के गठन के उपरान्त से ही उठ रहे राज्य के नाम सम्बन्धी विवाद के तहत इस राज्य का नाम बदलकर उत्तराखण्ड रखने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी। प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता में मन्त्रिमण्डल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को अनुमोदित किया।
भारतीय संविधान के भाग -1 के अनुच्छेद -3 के तहत किसी राज्य के नाम बदलने के प्रस्ताव को मन्त्रिमण्डल की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति के पास विचारार्थ भेजा जाता है। इस संवैधानिक औपचारिकता को पूरा करने के लिए राष्ट्रपति इस प्रस्ताव को राज्य के विधानसभा के विचार जानने के लिए भेजता है । विधानसभा के विचार जानने के उपरान्त मन्त्रिमण्डल इस प्रस्ताव को संसद में पेश करता है।
इस प्रक्रिया के चलते 12 अक्टूबर, 2006 को उत्तरांचल राज्य की विधानसभा ने राज्य के नाम में परिवर्तन सम्बन्धी विधेयक, 2006 को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसके उपरान्त यह प्रस्ताव संसद के शीतकालीन सत्र ( 2006 ) में लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के पश्चात् 3 जनवरी, 2007 को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर हो जाने के बाद इस राज्य का नाम बदलकर उत्तराखण्ड हो गया है।
उत्तराखंड के मंडल कुमाऊँ एवं गढ़वाल शब्द की उत्पत्ति-
कुमाऊँ शब्द की उत्पत्ति कूर्माचल से मानी जाती है। जनश्रुति है कि विष्णु भगवान का कर्मावतार चम्पावती नदी के पूर्व कूर्म पर्वत ( कानदेव ) में तीन वर्षों तक खड़ा रहा, जिसके बाद इसका नाम कूर्माचल पड़ा, जो धीरे - धीरे कुमाऊँ के नाम से जाना गया।
आइने - अकबरी में भी कुमाऊँ नाम का उल्लेख है। तराई भाबर में चन्द राजाओं ने रुद्रपुर, बाजपुर और काशीपुर नगरों की स्थापना की थी।
गढ़वाल की उत्पत्ति गढ़ शब्द से मानी जाती है। जिसमें गढ़ या किलों की बहुतायत थी। कहा जाता है कि यहाँ पहले 52 ठकुराइयाँ ( गढ़ ) थे, जो बाद में विभिन्न पट्टियों और परगनों के नाम में बदल गए। गढ़वाल में भाबर क्षेत्र के अन्तर्गत पाटलीदून और कोटादून आते हैं।
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