Ads Top

उत्तराखंड की प्रमुख भाषाएं एवं बोलियां

उत्तराखंड की प्रमुख भाषाएं एवं बोलियां




उत्तराखंड राज्य को दो क्षेत्र में बाँटा गया है, कुमाऊं तथा गढ़वाल मंडल एवं इन क्षेत्रो के आधार पर यहाँ पर दो प्रमुख भाषाएं है-

1. कुमाऊँनी बोली ( भाषा )
2. गढ़वाली बोली ( भाषा)

1. कुमाऊँनी बोली ( भाषा )-

उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र के उत्तरी तथा दक्षिणी सीमांत को छोड़कर शेष भू भाग की भाषा कुमाऊँनी है। इस भाषा के मूल रूप के संबंध में विद्वानों के अलग अलग दृष्टिकोण सामने आते है।

1. कुमाऊंनी भाषा का विकास दरद ( Dard ) , खस ( Khas ) , पैशाची ( Paishachi ) व प्राकृत ( Prakrti ) बोलियों से हुआ है। 

2. हिंदी की ही भांति कुमाऊंनी भाषा का विकास भी शौरसेनी ( Shauraseni ) , अपभ्रंश ( Apabhramsa ) भाषा से हुआ है। 

कुमाऊँनी भाषा को चार वर्गों में तथा उसकी 12 प्रमुख बोलियां निर्धारित की गई है, जो इस प्रकार है-

पूर्वी कुमाऊँनी वर्ग-

1. कुमैया :-  यह नैनीताल से लगे हुए काली कुमाऊं क्षेत्र में बोली जाती है। 

2. सौर्याली : -  यह सौर क्षेत्र में बोली जाती है। इसके अलावा इसे दक्षिण जोहार और पूर्वी गंगोली क्षेत्र में भी कुछ लोग बोलते है। 

3. सीराली : -  यह अस्कोट के पश्चिम में सीरा क्षेत्र में बोली जाती है। 

4. अस्कोटी : -  यह अस्कोट क्षेत्र की बोली है। इस पर नेपाली भाषा का प्रवाह है।

पश्चिमी कुमाऊँनी वर्ग-

1. खसपराजिया : -  यह बारह मंडल और दानपुर के आस - पास बोली जाती है।

2. पछाई : -  यह अल्मोड़ा जिले के दक्षिणी भाग में गढ़वाल सीमा पर बोली जाती है। 
 
3. फाल्दा कोटी : - यह नैनीताल के फाल्दाकोट क्षेत्र और अल्मोड़ा के कुछ भागों तथा पाली पछाऊ के क्षेत्र में बोली जाती है। 

4. चोगर्खिया : - यह चोगर्खा परगना में बोली जाती है। 

5. गंगोई : - यह गंगोली तथा दानापुर की कुछ पट्टियों में बोली जाती है। 

6. दनपुरिया :- यह दानापुर के उत्तरी भाग और जौहर के दक्षिण भाग में बोली जाती है।

उत्तरी कुमाऊँनी वर्ग-

1. जोहारी : -  यह जौहर व कुमाऊँ के उत्तर सीमावर्ती क्षेत्रों में बोली जाती है। इस क्षेत्र के भोटिया भी इसी भाषा का प्रयोग करते है। इस पर तिब्बती भाषा का प्रभाव दिखाई पड़ता है। 

दक्षिणी कुमाऊँनी वर्ग-

1. नैनीताल कुमाऊनी या रचभैसी : -  यह नैनीताल, भीमताल, काठगोदाम, हल्द्वानी आदि क्षेत्रों में बोली जाती है। कुछ जगह इसे नैणतलिया कि कहते है।


कुमाऊं क्षेत्र की अन्य बोलियां-

1. मझकुमैया बोली-

यह बोली कुमाऊं तथा गढ़वाल के सीमावर्ती क्षेत्रो में बोली जाती है।

2. गोरखाली बोली-

यह नेपाल से लगे क्षेत्रो तथा अल्मोड़ा में गौरखो द्वारा बोली जाती है यह एक नेपाली भाषा है।
 
3. भावरी बोली-

यह बोली चम्पावत तथा उधम सिंह नगर में बोली जाती है। 

4. शौका बोली-

यह बोली पिथौरागढ़ के उत्तरी क्षेत्र मे बोली जाती है। 

5. राजी बोली-

पिथौरागढ़  के अस्कोट, धारचुला तथा डोडीहाट के आस पास के बनरौत लोग राजी बोली बोलते है। 

6. बोक्साड़ी बोली-

कुमाऊं के दक्षिणी छोर पर रहने वाले बोक्सा जनजाति के लोग यह बोली बोलते हैं। 

7. पंजाबी बोली-

कुमाऊं के दक्षिणी क्षेत्र में रहने वाले सिख लोग यहाँ भाषा बोलते है। 

8. बांग्ला-

कुमाऊं के दक्षिणी भाग मे रहने वाले बंगाली लोग यह भाषा बोलते है।

2. गढ़वाली बोली ( भाषा )-

कुमाऊँनी भाषा की भांति गढ़वाली भाषा की उत्पत्ति के विषय में भी विद्वानों में मतभेद है। गढ़वाली भाषा को भी प्राकृतिक भाषा का एक रूप माना है। बोली की दृष्टि से गढ़वाली को 8 भागों श्रीनगर , नागपुरिया , दसौली , बधाणी , राठी , मांझ कुमैया , सलाणी एवं की टीहरयाली विभक्त किया है। साहित्य की रचना के लिए विद्वानों ने टिहरी व श्रीनगर के आस - पास की बोली को ही मानक गढ़वाली भाषा माना है।

गढ़वाल क्षेत्र की अन्य बोलियां-

1. खड़ी हिन्दी-

गढ़वाल के हरिद्वार ,रूडकी तथा देहरादून में यह भाषा बोली जाती है। 

2. जौनसारी-

गढ़वाल क्षेत्र के उँचाई वाले क्षेत्रों में तथा बाबर क्षेत्रों में जौनसारी भाषा बोली जाती हैं। 

3. भोटिया-

यह बोली चमोली तथा पिथौरागढ़ के क्षेत्र मे भोटिया जनजाति के लोगों द्वारा बोली जाती हैं।





कोई टिप्पणी नहीं:

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Blogger द्वारा संचालित.