उत्तराखंड के शक्तिशाली देवता भोलानाथ देवता की कहानी
उत्तराखंड के शक्तिशाली देवता भोलानाथ देवता की कहानी
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड के शक्तिशाली देवता भोलानाथ देवता के बारे में बताएंगे।
भोलानाथ देवता कुमाऊँ के एक सर्वाधिक पूज्य और लोकप्रिय देवता है। यह अनेक कुलो के ईस्ट देवता भी है। इनकी स्त्री का नाम बरमी है। उत्तराखंड के कुमाऊँ में परम्परा है कि घरों में कोई भी शुभ कार्य होने से पहले भोलानाथ देवता को रोट भेंट अवश्य चढाया जाता है। और भोलानाथ देवता को लोग भ्वलनाथ देवता के नाम से भी पूजते है।
भोलानाथ देवता हमारे कुमाऊँ में हरज्यूँ देवता और सैम देवता के समान ही पूजे जाते है। इनकी शक्ति अपरम्पार है।
देवगाथाओं और जागर गाथाओं से यह ज्ञात होता है कि यह चन्द्रवंशी राजा उदयचंद के पुत्र थे। भ्वलनाथ एक राजकुमार थे। जो साधु प्रकृति होने के कारण जोगी हो गए थे। राजा उदयचंद की दो रानियाँ थी। दोनों को एक - एक पुत्र थे इनमें से बड़े पुत्र का नाम भोलानाथ व छोटे पुत्र का नाम ज्ञानचंद था।
भोलानाथ देवता के भोले साधू व सरल स्वभाव के कारण ही लोग इन्हें भोलानाथ या भ्वलनाथ कहते थे। यह कहा जाता है कि इनका छोटा भाई ज्ञानचंद बहुत ही धुर्त, छली और कपटी था। उसने अपने छल व कपट से राज्य के वास्तविक उत्तराधिकारी अपने बड़े भाई को राज्य से निष्कासित कर दिया था। अपने भाई इस प्रकार षयत्रं को देख कर भोलानाथ अपने राज पाठ को छोड़कर कर सन्यासी बन गया।
भोलानाथ देवता को एक स्त्री से प्रेम था। जो उनके साधु बनने पर स्वंम भी साधवी बन गयी। और उनके साथ तीर्थाटन को निकल गयी। दोनों युगल जोड़ी अनेकों तीर्थो के दर्शन करते - करते एक दिन अल्मोड़ा के निकट नैलपोखरी में रुके हुए थे। इसकी खबर इनके कपटी भाई ज्ञानचंद को पता चल गई।
ज्ञानचंद ने यह सोचा कि उनका भाई राज्य के लिए मांग न कर दे इसलिए उसने एक माली को धन देकर उन दोनों को वंही अवस्थित शीतला देवी मंदिर के पास में एक आश्रम में मरवा डाला। और उस समय भोलानाथ की प्रेमिका गर्भवती थी। फलतः इस छलपूर्ण और कुरुर हत्या के बाद वह तीनों प्रेतात्माएँ माली और ज्ञानचंद को सताने लगी।
राजा ज्ञानचंद के द्वारा ज्योतिषियों के कहने पर इन तीनों की आत्माओं की संतुष्टि के लिए अल्मोड़ा नगर में अष्ठ भैरव की स्थापना की गयी। सैम और हरु देवता की तरह इन्हें भी पूजा जाता है। इनके भोलानाथ नाम के कारण उन्हें भगवान भोलेनाथ का अवतार माना जाता है। और सभी खुशी व पर्वों पर इनका स्मरण किया जाता है। कहीं- कहीं इन्हें भैरव के नाम से भी पूजा जाता है।
श्री भोलानाथ देवता की जय।
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