उत्तराखंड कुमाऊँ के प्रमुख मेलें
उत्तराखंड कुमाऊँ के प्रमुख मेलें
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड कुमाऊँ के प्रमुख मेलों के बारे में बताएंगे।
कुमाऊँ के प्रमुख मेले-
पिथौरागढ़ के प्रमुख मेले-
1. जौलजीवी मेला-
जौलजीवी मेला पिथौरागढ़ जनपद में लगता है। यह मेला प्रतिवर्ष 14-19 नवम्बर को काली एवं गोरी नदी के संगम स्थल पर लगता है। जौलजीवी मेले की शुरुआत सर्वप्रथम 1914 में हुई जौलजीवी मेले को प्रारम्भ करने का श्रेय गजेंद्र बहादुर को जाता है।
2. थल मेला-
थल मेला पिथौरागढ़ जनपद के बालेश्वर थल मन्दिर में बैशाखी के दिन लगता है। इस मेले की शुरुआत 13 अप्रैल 1940 को जलियांवाला बाग दिवस मनाये जाने के बाद हुई प्रारम्भ में यह मेला 20 दिन तक चलता था।
3. बौराड़ी मेला-
बौराड़ी मेला पिथौरागढ़ जनपद बौराड़ी नामक सान पर सैम देवता के मंदिर में लगता है। यह मेला दीपावली के 15 दिन बाद शुरू होता है।
अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मेले-
1. गणनाथ का मेला-
गणनाथ का मेला अल्मोड़ा जनपद के गणनाथ में प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा में लगता है। इस मेले में स्त्रियां रात भर हाथ में दीपक लेकर पुत्र प्राप्ति हेतु पूजा करती हैं। यह मेला गणनाथ मंदिर शिव को समर्पित है।
2. स्याल्दे- बिखोती मेला-
यह मेला अल्मोड़ा जनपद के द्वारहाट कस्बे में प्रतिवर्ष बैशाख माह में लगता है। बैशाख माह के पहले दिन बिखोती मेला व पहली रात्री को स्याल्दे मेला लगता है। इस मेले का आरम्भ कत्यूरी शासनकाल के समय से माना जाता है। इस मेले में झोड़े व भगनोल गीत गाये जाते हैं।
3. सोमनाथ मेला-
सोमनाथ मेला अल्मोड़ा के रानीखेत में रामगंगा बीके तट पर स्थित मासी गांव में बैशाख महीने में लगता है। यहां सोमेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। इस मेले के पहले दिन को सल्टीया मेला , दूसरे दिन को ठुल मेला ( बड़ा मेला ) व उसके बाद नान कौतिक ( छोटा मेला ) कहा जाता है।
4. श्रावणी मेला-
श्रावणी मेला अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम में प्रतिवर्ष श्रावण माह में लगता है यह मेला एक माह तक चलता है। इस मेले में महिलाएं सन्तान प्राप्ति के लिये रात भर हाथ मे दिये जलाये पूजा अर्चना करती हैं।
नैनीताल के प्रमुख मेले-
1. हरियाली मेला-
हरियाली मेला नैनीताल जनपद के भीमताल में श्रावण संक्रांति के दिन लगता है।
2. सीतावनी मेला-
सीतावनी मेला नैनीताल जनपद के रामनगर में 22 km दूर सीतावनी मन्दिर में लगता है सीतावनी मन्दिर माता सीता को समर्पित है।
चम्पावत के प्रमुख मेले-
1. पूर्णागिरि मेला-
पूर्णागिरि मेला उत्तराखंड राज्य के चम्पावत टनकपुर के पास पूर्णागिरि मन्दिर में लगता है। पूर्णागिरि मन्दिर अन्नपूर्णा शिखर पर स्थित है। श्री पूर्णागिरि मन्दिर की गणना भगवती के सिद्धपीठों में की जाती है। यह मेला चैत्र व अशूज माह की नवरात्रि मे लगता है जो 30-40 दिनों तक चलता है।
2. बग्वाल मेला ( आषाढ़ी मेला )- देवीधुरा मेला-
यह मेला चम्पावत जनपद के मां बारही देवी मन्दिर (देवीधुरा) में प्रतिवर्ष श्रावण मास में आयोजित किया जाता है। इस मेले में रक्षाबंधन के दिन बग्वाल ( पाषाण युद्ध ) खेली जाती है। बग्वाल खेलने वालों को धोके कहा जाता है व इस बग्वाल में दो गुटों के लोग एक दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं।
3. लड़ी धुरा मेला-
लड़ी धुरा मेला चम्पावत जनपद के बाराकोट में कार्तिक पूर्णिमा में आयोजित होता है।
4. मानेश्वर मेला-
मानेश्वर मेला चम्पावत के मायावती आश्रम के पास आयोजित होता है। मायावती आश्रम रामकृष्ण मठ की एक शाखा है। मायावती आश्रम ( अद्वैत आश्रम ) की स्थापना स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से 19 मार्च 1899 में जे एच सोवियर द्वारा किया गया।
बागेश्वर के प्रमुख मेले-
1. उत्तरायणी मेला-
उत्तरायणी मेला बागेश्वर में सरयू नदी व गोमती नदी के तट पर हर साल मकर सक्रांति के दिन लगता है। उत्तरायणी मेले को स्थानीय भाषा में घुघुतिया त्योहार या घुघुतिया ब्यार भी कहा जाता है। 14 जनवरी 1921 को बद्रीदत्त पांडे जी के नेतृत्व में कुली बेगार प्रथा को समाप्त करने का संकल्प किया गया। 1929 में गांधी जी ने इसी स्थान पर ' स्वराज भवन ' का शिलान्यास किया।
उधमसिंह नगर के प्रमुख मेले-
1. चैती मेला ( बाला सुंदरी मेला )-
चैती मेला उधमसिंह नगर के काशीपुर में बाल सुंदरी देवी ( कुंडेश्वरी देवी ) के मंदिर में लगता है। यह मेला चैत्र मास को आयोजित किया जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.