कपिलेश्वर महादेव मंदिर, पिथौरागढ़ उत्तराखंड
कपिलेश्वर महादेव मंदिर, पिथौरागढ़ उत्तराखंड
कपिलेश्वर महादेव मंदिर पिथौरागढ़ के ताकौरा और टेकरी गाँवों के पास स्थित सुस्वाद सोर घाटी में सुशोभित है। कपिलेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और एक अंधेरी गुफा के अंदर लगभग 10 मीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्ध हिन्दू कथा के अनुसार, कपिल के नाम से एक ऋषि इस गुफा में ध्यान किया करते थे। कपिलेश्वर महादेव मंदिर मुख्य गाँव से लगभग 3 किमी दूरी पर स्थित है और धुंधले हिमालय के आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करता है।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर पिथौरागढ़ ( सोर घाटी ) में स्थित है।
मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 200 से अधिक सीढ़ियों तक चढ़ना पड़ता है । पिथौरागढ़ शहर के निकट एक और गुफा मंदिर है जो कि भगवान शिव को समर्पित है । यहां पर पूर्व काल में एक मूर्ति भी स्थापित थी | उस मूर्ति की पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है कि इस क्षेत्र के निकट गाँव की एक गाय प्रति दिन उस मूर्ति पर दूध विसर्जित करती थी लेकिन एक दिन अचानक ग्वाले ने गाय को मूर्ति पर दूध विसर्जित करते समय देख लिया और उसने क्रोध में मूर्ति को खंडित कर दिया । अगले दिन वहां जाने पर एक गुफा दिखाई दी और माना जाता है कि गुफा से एक सुरंग भी जुड़ी हुई है , जहाँ से “सोर घाटी” यानी “पिथौरागढ़“ का बड़ा ही मनमोहक एवं विस्तृत स्वरूप दिखाई देता है ।
शिवरात्रि के दिन इस मंदिर पर भव्य मेले का आयोजन और रात्रि में जागरण किया जाता है । इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से इस मंदिर में पूजा और आराधना करता है भगवान उसकी हर मनोकामना पूर्ण करते है |
कपिलेश्वर महादेव की जय।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर पिथौरागढ़ के ताकौरा और टेकरी गाँवों के पास स्थित सुस्वाद सोर घाटी में सुशोभित है। कपिलेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और एक अंधेरी गुफा के अंदर लगभग 10 मीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्ध हिन्दू कथा के अनुसार, कपिल के नाम से एक ऋषि इस गुफा में ध्यान किया करते थे। कपिलेश्वर महादेव मंदिर मुख्य गाँव से लगभग 3 किमी दूरी पर स्थित है और धुंधले हिमालय के आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करता है।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर पिथौरागढ़ ( सोर घाटी ) में स्थित है।
मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 200 से अधिक सीढ़ियों तक चढ़ना पड़ता है । पिथौरागढ़ शहर के निकट एक और गुफा मंदिर है जो कि भगवान शिव को समर्पित है । यहां पर पूर्व काल में एक मूर्ति भी स्थापित थी | उस मूर्ति की पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है कि इस क्षेत्र के निकट गाँव की एक गाय प्रति दिन उस मूर्ति पर दूध विसर्जित करती थी लेकिन एक दिन अचानक ग्वाले ने गाय को मूर्ति पर दूध विसर्जित करते समय देख लिया और उसने क्रोध में मूर्ति को खंडित कर दिया । अगले दिन वहां जाने पर एक गुफा दिखाई दी और माना जाता है कि गुफा से एक सुरंग भी जुड़ी हुई है , जहाँ से “सोर घाटी” यानी “पिथौरागढ़“ का बड़ा ही मनमोहक एवं विस्तृत स्वरूप दिखाई देता है ।
शिवरात्रि के दिन इस मंदिर पर भव्य मेले का आयोजन और रात्रि में जागरण किया जाता है । इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से इस मंदिर में पूजा और आराधना करता है भगवान उसकी हर मनोकामना पूर्ण करते है |
कपिलेश्वर महादेव की जय।
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.