अलकनंदा नदी का उद्गम स्थल
अलकनंदा नदी कंहा से आती है क्या आपको पता है....?
में आपको अपनी इस पोस्ट में बताऊंगा की अलकनंदा नदी कंहा से उद्गम होती है।
सबसे पहले अलकनंदा नदी माँ गंगा नदी की सहयोगी है।
अलकनन्दा नदी का प्राचीन नाम विष्णुगंगा है, इसका उद्गम स्थान संतोपंथ ग्लेशियर है। जो कि बद्रीनाथ से होकर आती है
इसकी सहायक नदियां-
सरस्वती,ऋषिगंगा,लक्ष्मण गंगा ,पश्चिमी धोलीगंगा,बालखिल्य,बिरहिगंगा,पातालगंगा,गरुनगंगा,नंदाकिनी,पिंडर,मंदाकिनी है।
यह गंगा के चार नामों में से एक है। चार धामों में गंगा के कई रूप और नाम हैं। गंगोत्री में गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है, केदारनाथ में मंदाकिनी और बद्रीनाथ में अलकनन्दा। यह उत्तराखंड में संतोपंथ और भगीरथ खरक नामक हिमनदों से निकलती है। यह स्थान गंगोत्री कहलाता है। अलकनंदा नदी घाटी में लगभग 195 किमी तक बहती है।
अलकनंदा चमोली (रुद्रप्रयाग) टिहरी और पौड़ी जिलों से होकर गुज़रती है। गंगा के पानी में इसका योगदान भागीरथी से अधिक है।
हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनाथ अलखनंदा के तट पर ही बसा हुआ है। राफ्टिंग इत्यादि साहसिक नौका खेलों के लिए यह नदी बहुत लोकप्रिय है। तिब्बत की सीमा के पास केशवप्रयाग स्थान पर यह आधुनिक सरस्वती नदी से मिलती है। केशवप्रयाग बद्रीनाथ से कुछ ऊँचाई पर स्थित है।
बाद में अलकनंदा नदी देवप्रयाग में जाकर भागीरथी नदी से मिलती है और इन दोनों नदी के संगम के बाद यह नदी माँ गंगा नदी बनकर ऋषिकेश होते हुए हरिद्वार में पहुच जाती है।
में आपको अपनी इस पोस्ट में बताऊंगा की अलकनंदा नदी कंहा से उद्गम होती है।
सबसे पहले अलकनंदा नदी माँ गंगा नदी की सहयोगी है।
अलकनन्दा नदी का प्राचीन नाम विष्णुगंगा है, इसका उद्गम स्थान संतोपंथ ग्लेशियर है। जो कि बद्रीनाथ से होकर आती है
इसकी सहायक नदियां-
सरस्वती,ऋषिगंगा,लक्ष्मण गंगा ,पश्चिमी धोलीगंगा,बालखिल्य,बिरहिगंगा,पातालगंगा,गरुनगंगा,नंदाकिनी,पिंडर,मंदाकिनी है।
यह गंगा के चार नामों में से एक है। चार धामों में गंगा के कई रूप और नाम हैं। गंगोत्री में गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है, केदारनाथ में मंदाकिनी और बद्रीनाथ में अलकनन्दा। यह उत्तराखंड में संतोपंथ और भगीरथ खरक नामक हिमनदों से निकलती है। यह स्थान गंगोत्री कहलाता है। अलकनंदा नदी घाटी में लगभग 195 किमी तक बहती है।
अलकनंदा चमोली (रुद्रप्रयाग) टिहरी और पौड़ी जिलों से होकर गुज़रती है। गंगा के पानी में इसका योगदान भागीरथी से अधिक है।
हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनाथ अलखनंदा के तट पर ही बसा हुआ है। राफ्टिंग इत्यादि साहसिक नौका खेलों के लिए यह नदी बहुत लोकप्रिय है। तिब्बत की सीमा के पास केशवप्रयाग स्थान पर यह आधुनिक सरस्वती नदी से मिलती है। केशवप्रयाग बद्रीनाथ से कुछ ऊँचाई पर स्थित है।
बाद में अलकनंदा नदी देवप्रयाग में जाकर भागीरथी नदी से मिलती है और इन दोनों नदी के संगम के बाद यह नदी माँ गंगा नदी बनकर ऋषिकेश होते हुए हरिद्वार में पहुच जाती है।
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